वीडियो जानकारी: 26.02.22, वेदांत महोत्सव, ऋषिकेश
प्रसंग:
यज्ञ से उन्नत होकर देवता तुम लोगों को इच्छित भोग प्रदान करते रहेंगे। इस प्रकार उन देवताओं से प्राप्त हुई सामग्री को दूसरों की सेवा में लगाये बिना जो मनुष्य स्वयं ही उसका उपभोग करता है, वह चोर ही है।
~ श्रीमद्भगवद्गीता, अध्याय 3 श्लोक 12
संगीत: मिलिंद दाते
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